पृथ्वी थियेटर में निर्माण

सन् २००९ निर्माण के लिए एक गौरवशाली वर्ष था जब इसके पाँच नाटकों की दस प्रस्तुतियाँ उस स्थल पर हुई जो भारत का सबसे पुराना लगातार क्रियाशील मंच है। पृथ्वी थियेटर , जिसकी स्थापना १५ जनवरी , सन् १९४४ में पृथ्वीराज कपूर ने की, के सालाना नाट्य महोत्सव "पृथ्वी थियेटर फेस्टिवल" में निर्माण ने हिस्सा लिया। प्रख्यात रंगकर्मी हबीब तनवीर के नया थियेटर के बाद ये दूसरा मौका था जब इतने सारे हिंदी नाटकों का सफलतापूर्वक मंचन इस महोत्सव में हुआ और बिहार की मिट्टी की खुशबू , इसकी उर्वरता और इसकी कोमलता का परिचय जादूनगरी मुंबई से हुआ। ये एक विशेष बात थी कि पाँचों नाटकों के लेखक बिहार के थें,पाँचों के निर्देशक बिहार में रंगकर्म के पहचान श्री संजय उपाध्याय थें और पाँचों में बिहार के कलाकारों ने हिस्सा लिया था। ये पांचों नाटक निम्नांकित है. -
१. भिखारी ठाकुर रचित "बिदेसिया"
२. पद्मश्री डॉ. उषा किरण खान रचित "कहाँ गए मेरे उगना"
३. रामेश्वर सिंह कश्यप रचित "नीलकंठ निराला"
४. श्रीकांत किशोर रचित "हरसिंगार"
५. हृषिकेश सुलभ रचित "धरती आबा"