रजत जयंती वर्ष २०१३

रंगपथ पर अपने क़दमों को सबल करते हुए सन् २०१३ को निर्माण ने स्वयं को रजत सोपान पर पाया। एक चौथाई शताब्दी की उम्र पर पहुंचकर इस आनंद का उत्सव कई कार्यक्रमों की योजना और सफल संपादन द्वारा मनाया गया, जिसमें संस्था के सदस्यों और कलाकारों के आलावा स्थानीय रंगबंधु एवं दर्शकों ने अपना योगदान दिया।

प्रथम कार्यक्रम "नियमित" के अंतर्गत निर्माण ने पूरे वर्ष के हर महीने की एक शाम को नाटकों के मंचन का सिलसिला शुरू किया। इसके अंतर्गत बिदेसिया, हरसिंगार, कहाँ गए मेरे उगना, बड़ा नटकिया कौन, धरती आबा, बटोही, गबरघिचोर, कंपनी उस्ताद, धनपत के किस्सें, देथा जी कहीं एवं गगन दमामा बज्यो की प्रस्तुतियाँ पटना में की गयी।


दूसरा कार्यक्रम था "रु- ब- रु", जिसके आयोजन का उद्देश्य प्रत्येक मास नुक्कड़ नाटकों के द्वारा दर्शकों से रु- ब- रु होना था। इसके अंतर्गत अंधों का हाथी, बकरी, शिक्षा का सर्कस, गोपी गवैया बाघा बजैया, जनता पागल हो गयी, पता नहीं , के प्रदर्शन हुए।


तीसरे कार्यक्रम "कथांजलि" के अंतर्गत कहानी मंचन का दौर चला और टैगोर, विजयदान देथा, प्रेमचंद की प्रस्तुति हुयी।


चौथे कार्यक्रम "रंग- ए- जमात" ने पटना रंगमंच का एक नया अध्याय शुरू किया। ये एक नाट्य महोत्सव था, जिसमें विभिन्न नाट्य संस्थाओं ने अपना योगदान श्रम, सुझाव एवं आर्थिक तौर पर किया। ये एक मिश्रित साहस था, जिसमें हर एक की समान सहभागिता थी, समान सम्मान था और समान स्थान भी। साथ ही सारे प्रदर्शन सशुल्क थे, जिसने "नाटकों में टिकट" की परम्परा को सुदृढ़ किया। ये कार्यक्रम अब भी जारी है और इसमें डी.एस. डी. ओ., प्रयास, मास्क, अनहद, आकाशगंगा, रंगचौपाल एसोसिएशन, रंगसृष्टि,विशाल, प्रेरणा, नाद, बैड थियेटर, रेनेसेंस, सरगम आर्ट्स, रंगमाटी, शांति कल्चरल फाऊंडेशन आदि संस्थाओं ने हिस्सा लिया है।
                             हम यहाँ स्पष्ट करना चाहते हैं कि "रंग- ए- जमात" की शुरुआत निर्माण कला मंच के रजत जयंती वर्ष में की गयी थी। यह आयोजन निर्माण कला मंच का न होकर इस आयोजन में शामिल होने वाली सभी रंग संस्थाओं का है।


पंचम योजना थी नाट्य कार्यशालाओं की, जिसके तहत पटना एवं आस- पास के ज़िलों के युवाओं एवं बच्चों को रंगकर्म के संस्कारों द्वारा अनुशासित किया गया और उनकी कला प्रतिभा को उचित मार्गदर्शन प्रदान किया गया।