रंगमंडल

बिहार में पहले व्यावसायिक रंगमंडल "निर्माण कला मंच" के स्थापना का श्रेय भी निर्माण कला मंच को जाता है। सन् २००० में एक गुरु और तीन शिष्यों का ये पौथा एक गुरु और बाईस शिष्यों के विशाल वृक्ष में परिवर्तित हो चुका है। हमारे पास कला के हर विधा - गायन, वादन, अभिनय, नृत्य, वस्त्र- रूप सज्जा- प्रकाश एवं मंच-परिकल्पना, नाट्य-लेखन, चित्रकला अादि के मर्मज्ञ व्यावसायिक रूप से कार्यरत हैं। निर्माण रंगमंडल द्वारा अबतक घासीराम कोतवाल, हिरा डोम, अंधों का हाथी, उत्तर प्रियदर्शी, अंबपाली, परती परिकथा, अँधा युग, खराशें, हरसिंगार, धरती आबा, स्वप्न मंगल कथा, जानत तुलसीदास, हे तथागत, गगन दमामा बज्यो, बटोही, गबरघिचोर आदि नाटकों की सफल प्रस्तुति हो चुकी है।